कवि व लेखक अशोक शर्मा वशिष्ठ जी द्वारा 'अंधविश्वास' विषय पर रचना

अंधविश्वास
    
          अंधविश्वास से जकड़ा हुआ है हमारा समाज
आधुनिकता का है दम भरता, अपनाता पूराने रिवाज
अंधविश्वास का लाभ उठाएं करें पोंगा पंडित राज
कभी न संवरे अंधविश्वासियों के काम ,बिगड़े सदा इसके काज़

       अंधविश्वास के चक्कर मे कन्याएँ रह जाती कुंवारी
लग्न महूर्त के फेर मे धरी रह जाती सारी की सारी तैयारी

         ग्रहदोष के चक्कर मे जकड़ा है इंसान
पढा लिखा हो कर भी बना हुआ नादान
यह कैसी तेरी माया हे जगतपति भगवान

       संसार प्रगति के पथ पर चल रहा है
आसमान की ऊंचाइयों को छू रहा है
विज्ञान के क्षेत्र मे नित्य नये प्रयोग हो रहे हैं
फिर भी अंधविश्वासी लोगों सो रहे हैं

      अंधविश्वास ग्रहों के चक्कर मे जकड़े हैं
ओझा और ज्योतिष का दामन पकड़े हुए हैं

       अंधविश्वास समाज मे एक अभिशाप है
जिसने समाज मे फैलाया संताप है

    इसे समाज से हटाने हेतु लेना एक संकल्प है
साक्षरता और जागरूकता ही इसका विकल्प है

    आओ एकजुट होकर अंधविश्वास को मिटाएँ
देश मे नये विकास का युग लाएं और खुशहाली फैलाएँ

        अशोक शर्मा वशिष्ठ

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