गौ माता पर
*********************
1
क्षीर सुधा सम देत है ,हरती सबकी पीर ,
हृष्ट-पुष्ट करती सदा ,धीर वीर गम्भीर ।
धीर वीर गम्भीर ,हमें नीरोग बनाती ,
बाछा - बाछी देइ ,गाय सम्पन्न बनाती ।
कह "बाबू " कविराय ,मिटे रोगियों की क्षुधा ,
गौ सेवा शिरमौर ,औषधी है क्षीर सुधा ।
2
गौ माता करती सदा ,बैतरनी से पार ,
सेवा सु -सम्पन्न करे ,करती आत्म सुधार ।
करती आत्म सुधार ,परस्पर प्यार बढा़ती ,
स्वर्ग सुक्ख़ उपजाय ,परम परिवार बसाती।
कह "बाबू " कविराय ,अनादर इसे न भाता ,
देती सबको प्यार ,जगत में यह गौ माता ।
3
गोधन सा धन और ना ,इस पर करो विचार ,
इस के महिमा का नहीं ,जग में पारावार ।
जग में पारावार , सुदरस परस सुखदाई ,
आदर ,सेवा भाव , भरे पापों की खाई ।
कह "बाबू " कविराय करो सदैव शुभ भोजन ,
बुरे कर्म दे टार ,सदा जग में धन गोधन ।
4
गौ माँ के हर रोम में ,वास करे सब देव ,
सेवा सुश्रूषा करें ,पावे निस दिन मेव ।
पावे निस दिन मेव ,सदा सुख शान्ति दाता ,
जस होगा कल्पवृक्ष ,जगत में भाग्य विधाता।
कह "बाबू "कविराय रहे सेवा में जी जाँ ,
भव से करती पार ,सदा निश्चित ही गौ माँ ।
*************************
बाबूराम सिंह कवि
बड़का खुटहाँ ,विजयीपुर
गोपालगंज ( बिहार )
मो0नं0 - 9572105032
*************************
On Sun, Jun 14, 2020, 2:30 PM Baburam Bhagat <baburambhagat1604@gmail.com> wrote:
🌾कुण्डलियाँ 🌾*************************1पौधारोपण कीजिए, सब मिल हो तैयार।परदूषित पर्यावरण, होगा तभी सुधार।।होगा तभी सुधार, सुखी जन जीवन होगा ,सुखमय हो संसार, प्यार संजीवन होगा ।कहँ "बाबू कविराय "सरस उगे तरु कोपण,यथाशीघ्र जुट जायँ, करो सब पौधारोपण।*************************2गंगा, यमुना, सरस्वती, साफ रखें हर हाल।इनकी महिमा की कहीं, जग में नहीं मिसाल।।जग में नहीं मिसाल, ख्याल जन -जन ही रखना,निर्मल रखो सदैव, सु -फल सेवा का चखना।कहँ "बाबू कविराय "बिना सेवा नर नंगा,करती भव से पार, सदा ही सबको गंगा।*************************3जग जीवन का है सदा, सत्य स्वच्छता सार।है अनुपम धन -अन्न का, सेवा दान अधार।।सेवा दान अधार, अजब गुणकारी जग में,वाणी बुध्दि विचार, शुध्द कर जीवन मग में।कहँ "बाबू कविराय "सुपथ पर हो मानव लग,निर्मल हो जलवायु, लगेगा अपना ही जग।*************************बाबूराम सिंह कविग्राम -बड़का खुटहाँ, पोस्ट -विजयीपुर (भरपुरवा)जिला -गोपालगंज (बिहार) पिन -841508 मो0नं0-9572105032*************************मै बाबूराम सिंह कवि यह प्रमाणित करता हूँ कि यह रचना मौलिक व स्वरचित है। प्रतियोगिता में सम्मीलार्थ प्रेषित।हरि स्मरण।*************************
0 टिप्पणियाँ