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दोहे
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गुणिये जितना अंक नव ,जोड़ सभी का एक ।
घटत बढ़त नाहीं कबहु ,जोड़ गुणा कर देख।।
ब्रम्ह का नौ प्रतीक है ,संख्या सत्य महान ।
भक्ति नवों अपनाय कर ,बन प्यारे गुणवान।।
श्रवण कीर्तन सु संस्मरण ,सेवन दास सुसंग।
अर्चन वंदन समर्पण ,संख्य भक्ति नौ अंग ।।
कथा कीर्तन हरि सदैव ,हो सादर रसपान ।
अनुपम साधन है यह , सुनिये नित्य सुजान।।
हरि दिव्य जन्म कर्म का ,अन्तः चिन्तन भान।
प्रेम भाव से गान हो , कीर्तन वही महान ।।
सर्व व्याप्त प्रभु जान कर ,धरता है जो ध्यान ।
अभय रहे जग में सदा ,यही सुस्मरण ज्ञान।।
हर पल सेवा भाव से ,मन हो सरस पुनीत।
यही हृदय संतोष की ,सर्व श्रेष्ट है रिती ।।
धन वैभव अनुसार शुचि ,हो विधी पूर्वक कार्य।
अर्पित सोलह उपचार ,प्रभु अर्चन अनिवार्य ।।
हो सस्वर स्तुति मंच की ,उच्चारण भू-स्पर्श ।
ईष्ट देव का ध्यान धर ,वंदन दे उत्कर्ष ।।
भला बुरा ईश्वर करे ,सब में मंगल मान ।
ऐसा दृढ़ विश्वास ही ,सख्य भक्ति पहचान।।
देह आदि सर्वस्य का ,हरि चरणों में धार ।
सुनिर्वाह चिन्ता रहित ,सच है आत्मोध्दार।।
नवक भक्ति सर्वांग ही ,धारण कर अनमोल ।
बचें सदा भवजाल से ,हर पल हरि ही बोल ।।
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बाबूराम सिंह कवि
बड़का खुटहाँ , विजयीपुर
गोपालगंज ( बिहार )841508
मो0नं0 - 9572105032
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On Sun, Jun 14, 2020, 2:30 PM Baburam Bhagat <baburambhagat1604@gmail.com> wrote:
🌾कुण्डलियाँ 🌾*************************1पौधारोपण कीजिए, सब मिल हो तैयार।परदूषित पर्यावरण, होगा तभी सुधार।।होगा तभी सुधार, सुखी जन जीवन होगा ,सुखमय हो संसार, प्यार संजीवन होगा ।कहँ "बाबू कविराय "सरस उगे तरु कोपण,यथाशीघ्र जुट जायँ, करो सब पौधारोपण।*************************2गंगा, यमुना, सरस्वती, साफ रखें हर हाल।इनकी महिमा की कहीं, जग में नहीं मिसाल।।जग में नहीं मिसाल, ख्याल जन -जन ही रखना,निर्मल रखो सदैव, सु -फल सेवा का चखना।कहँ "बाबू कविराय "बिना सेवा नर नंगा,करती भव से पार, सदा ही सबको गंगा।*************************3जग जीवन का है सदा, सत्य स्वच्छता सार।है अनुपम धन -अन्न का, सेवा दान अधार।।सेवा दान अधार, अजब गुणकारी जग में,वाणी बुध्दि विचार, शुध्द कर जीवन मग में।कहँ "बाबू कविराय "सुपथ पर हो मानव लग,निर्मल हो जलवायु, लगेगा अपना ही जग।*************************बाबूराम सिंह कविग्राम -बड़का खुटहाँ, पोस्ट -विजयीपुर (भरपुरवा)जिला -गोपालगंज (बिहार) पिन -841508 मो0नं0-9572105032*************************मै बाबूराम सिंह कवि यह प्रमाणित करता हूँ कि यह रचना मौलिक व स्वरचित है। प्रतियोगिता में सम्मीलार्थ प्रेषित।हरि स्मरण।*************************
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