कोरोना काल मे रक्षा बंधन

🌷🌿कोरोना काल मे रक्षा बंधन 🌿🌷

 झूम के घिर आयी कारी बदरिया,
आये याद अब बाबुल की अटरिया!
 बीतें हरियाली सावन का महीना,
 अभी तक रुलाये जालिम कोरोना!
ऐसा दिन जीवन मे आये कभी ना,
 भैया  की कलाई कभी सुनी रहे ना!
  आया झूम के उत्सव रक्षाबंधन,
  भाई-बहना का त्योहार मनभावन!
 भैया से मिलने को तरसे अँखिया,
  बरस बीते छूटी सारी सखियाँ!
  अम्बर से सावन बरस-बरस,
  दिलाये याद भैया की प्रीत!
  बहना के नयना बरसें नीर,
  आयें कैसे मेरे पास मेरा वीर?
 कैसे आएगा मेरे देश भैया मेरा?
  दूर देश मेरे भैया का बसेरा,
  कैसे निभाये अब अपनी रीत?
  अब सावन के हम भूले वो झूला,
   गायें कैसे अब कजरी और गीत?
  प्रभु दिखायें दुख कभी सुख,
  कभी शीतल छाया कभी धूप!
  ऐसी महामारी आया कोरोना,
  रक्षाबंधन का भी बदला स्वरूप!
  शिक्षा- दीक्षा घर में ऑनलाइन,
 अब रक्षा बंधन भी मनाना क्वारंटिन!
  जाने कैसे मनायें त्योहार रक्षाबंधन?
   बंद घरों मुश्किलों से बीत रहे दिन!
   बरस भर करके इंतजार राखी-त्योहार,
  बहना की भीगी अँखिया उमड़ आये प्यार!
   कैसे हो भाई-बहन की स्नेह- मुलाकात,
  अब तो होगी वीडियो-कॉलिंग से बात!
  भाई की कलाई से राखियाँ करके दूर,
  मचाया कोरोना ने कहर कितना क्रूर?
  रक्षाबंधन मनायेंगें कोरोना काल-अनुरूप,
 बदला कोरोना काल मे रक्षाबंधन का स्वरूप!

🌹समाप्त🌹स्वरचित और मौलिक
                   सर्वाधिकार सुरक्षित
     कवयित्री -शशिलता पाण्डेय

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