व्यर्थ न जायेगा बलिदान


बदलाव मंच भाषण मिश्रित काव्य प्रतियोगिता 

कविता --

व्यर्थ न जायेगा बलिदान --

भारत की माटी केसरिया,आओ मिल कर मनन करें,
देश प्रेम की चली हवायें,आओ मिल कर नमन करें !

शहीद हुए वो मां के लाल सीने पर गोली खाये थे,
पावन चंदन माटी पर फिरंगी हुकुमत के साये थे!
पुण्य पुमान वसुंधरा हित बने वीर काल निवाले थे ,
वन्दे मातरम् इंकलाब के हृदय में भरे ज्वाले थे !
वीरांगनाओं के जौहर ने चिता राख रंग घोले थे !
व्यर्थ न जायेगा बलिदान निडर वीर संग बोले थे,
मिली तभी हमें आजादी,आओ उनका गुणगान करें ,
पावन इस चंदन माटी पर दिल औ जान कुर्बान करें!

बांध कफन सिर वीरों ने, हंसकर जीवन वारे थे,
मातृभूमि का करके वंदन,दुश्मन सैनिक मारे थे!
खून की होली खेली थी,अवनि अंबर  लाल किया,
देश के वीर जवानों ने भारत का उन्नत भाल किया!
चमक उठी लाखों शमशीरें,अंग्रेजों का मुख मोड़ा था,
रक्त शिराओं में भर तूफानी,फिरंगी बाहर खदेड़ा था!
मिली तभी हमें आजादी,आओ उनका गुणगान करें,
पावन इस चंदन माटी पर दिल औ जान कुर्बान करें!

दाना,पानी,अन्न,जलवायु,शुचि माटी में खेले और बढ़े,
सांस हवाओं में लेकर हम जीवन जियें और यहीं मरें!
केसर कस्तूरी माटी अपनी जान से हमको प्यारी है,
तिरंगे की उठाये सौगन्ध माँ भारती सबसे न्यारी है!
धूल चटायें दुश्मन को अरि मस्तक चरण झुकायें हम,
प्यारा भारत प्रीत का गुलशन इसकी नजर उतारें हम!
भारत की माटी केसरिया आओ मिल कर मनन करें,
देश प्रेम की चली हवायें आओ मिल कर नमन करें!!

✍ सीमा गर्ग मंजरी
 मेरी स्वरचित रचना
 मेरठ

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