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कविता
*जीत जायेंगे हम*
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पिछली कुछ बातें,
मन को समझाती..
नेक इरादों से हम।
देश सम्पत्ती को,
धरोहर रूप माने..
जीत जायेंगे हम।।
संकट अपना साथी,
सभी ने ये स्वीकारी..
इस परीक्षा में हम।
सफल हो ही जायेंगे,
मन से हो मुकाबला..
जीत जायेंगे हम।
भ्रष्टाचार मिटे भू से,
जन-जन की इच्छा..
हमसे शुरू करें हम।
हमको नहीं हैं डरना,
दृढ़ संकल्प हमारा..
जीत जायेंगे हम।।
बढ़ता ये प्रदुषण,
लेगा जान हमारी..
समझों तुम हम।
बनो प्रकृति प्रेमी,
घर-घर पौधारोपण..
जीत जायेंगे हम।।
जल महिमा जाने
खूब लगाते नारे..
मन में उतारे हम।
व्यर्थ नहीं बहाना
*वृषा जल बचाना*
जीत जायेंगे हम।।
अनुशासन में सब,
संस्कृति का मान..
ये नही मानते हम।
कैसे हो नैया पार,
संस्कारो पे चले तो
जीत जायेंगे हम।।
©®
रामबाबू शर्मा, राजस्थानी,दौसा(राज.)
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