राखी और कोरोना
याद आ रहा है मुझको
वो राखी का आज भी धागा
नन्हें नन्हें हाथों से बहना
बाँधती थी वो राखी का धागा
माथे रोली तिलक लगा कर
खुश हो ये लेती थी वादा
आज के दिन तुम जहां भी रहो
आना मिलने हर हाल में
मैं इंतजार करूँगी भइया
तेरा एक दिन साल में
पचास साल से बँध रहा धागा
राखी का एक दिन साल में
बड़े चाव से माथे रोली लगाती
बड़े शोक से राखी बाँधती
बड़े प्यार से खिलाती मिठाई
खुश होजाती थी देख कर
राखी के दिन साल में
अब देखो ये समय का चक्कर
केसा ये कुदरत का खेल है
केसा ये कोरोना का कहर है
इंतजार कर रहा राखी का धागा
तड़प रहा भाई बहन का प्यार है
केसा ये मजबूर भाई है
केसी ये मजबूरी आई है
केसी ये है राखी आई है
सजी रह गई वो आरती थाली
इंतजार कर रहे अक्षत रोली
इंतजार कर रहा राखी का धागा
केसी " लक्ष्य" ये मजबूरी आई
. .याद आ रहा आज भी मुझको
वो राखी का आज भी धागा
नन्हें नन्हें हाथों से बहना
बाँधती थी राखी का धागा ॥
निर्दोष लक्ष्य जैन
धनबाद झारखंड
याद आ रहा है मुझको
वो राखी का आज भी धागा
नन्हें नन्हें हाथों से बहना
बाँधती थी वो राखी का धागा
माथे रोली तिलक लगा कर
खुश हो ये लेती थी वादा
आज के दिन तुम जहां भी रहो
आना मिलने हर हाल में
मैं इंतजार करूँगी भइया
तेरा एक दिन साल में
पचास साल से बँध रहा धागा
राखी का एक दिन साल में
बड़े चाव से माथे रोली लगाती
बड़े शोक से राखी बाँधती
बड़े प्यार से खिलाती मिठाई
खुश होजाती थी देख कर
राखी के दिन साल में
अब देखो ये समय का चक्कर
केसा ये कुदरत का खेल है
केसा ये कोरोना का कहर है
इंतजार कर रहा राखी का धागा
तड़प रहा भाई बहन का प्यार है
केसा ये मजबूर भाई है
केसी ये मजबूरी आई है
केसी ये है राखी आई है
सजी रह गई वो आरती थाली
इंतजार कर रहे अक्षत रोली
इंतजार कर रहा राखी का धागा
केसी " लक्ष्य" ये मजबूरी आई
. .याद आ रहा आज भी मुझको
वो राखी का आज भी धागा
नन्हें नन्हें हाथों से बहना
बाँधती थी राखी का धागा ॥
निर्दोष लक्ष्य जैन
धनबाद झारखंड
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