कवयित्री नेहा जैन जी द्वारा श्रृंगार रस पर आधारित रचना

मैं दे रहा हूं आवाजें उसे
जो रूठ कर मुझसे चला गया
आया था बन कर
हवा का झोंका
रुला के सबको चला गया
मिलूं कैसे तुमसे अब
छोड़ा न कोई निशान है
सज़दे तुम्हारे प्यार के
करते रहेंगे सदा
यादें तुम्हारी रोशन है
दिल मे
इनको सलामत रखेंगे सदा
साथ जो तुम छोड़ कर चले गए
हम तो तन्हा रह गए
जिएंगे फिर भी
खुद को आजमाना है 
तुमसे दूर होकर भी
तुमसे प्यार निभाना है
 लिखेंगे वो अफ़साना
जो देखेगा सारा जमाना
यही अब मुक़द्दर है मेरा
सदा होकर रहूंगा तेरा।।


स्वरचित
नेहा जैन

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ