कवि व समीक्षक भास्कर सिंह माणिक कोंच जी द्वारा 'नारी करुणा का सागर' विषय पर रचना

मंच को नमन
दिनांक -29-08-2020
विषय-नारी करणा का सागर है
 
मत समझो नारी को अबला नारी सदा रहे मर्दानी
दुश्मन के शीश उतारे रण में सदा रही वरदानी
हर काल में नर के संग संग इतिहास रचे नारी ने
अगर किसी ने आप उठाई बन गई काल भवानी

मेहनत से रिश्ता सदा रखा कभी न पीठ दिखाई
नारी करुणा का सागर है घर की लाज बचाई
नारी आन बान शान की खातिर लिखती नई कहानी
सावित्री जैसी दृढ़ नारी से यम ने हारी मानी

कभी किसी का बुरा न सोचे सबकी करें भलाई
नटवर की दीवानी बनकर प्रेम की ज्योति जलाई
रण में पानी मांगा था अंग्रेजों ने नारी से
पदमा दुर्गा सारंधा की अनुपम शौर्य कहानी

जेठ की कड़ी दोपहरी भी नारी से घबराए
सावन में मेघों के संग मस्ती में नाचे गाए
इतिहास बदल देती नारी सदा रही बलिदानी
युग बदले हैं नारी ने नारी ने जब भी ठानी
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मैं घोषणा करता हूं कि यह रचना मौलिक स्वरचित है।
भास्कर सिंह माणिक ( कवि एवं समीक्षक) कोंच

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