🌾गजल 🌾
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सत्य -धर्म सदाचार परस्पर ।
बढे़ सदा ही प्यार परस्पर ।
जीयो और जीने दो सबको ,
हो सुख शान्ति बौछार परस्पर।
हो क्षमा दया करुणामय पावन,
वाणी बुध्दि विचार परस्पर ।
अमन चैन सर्वत्र आबाद हो ,
स्वयं का सतत सुधार परस्पर ।
सुयश सफलता सदभावों का ,
होवे सदा बहार परस्पर ।
सत्कर्म सेवा सहयोग शुभ ,
हो सबका आधार परस्पर।
सरस सुखद हिन्दी भाषा का,
चहुँदिश हो प्रचार परस्पर।
हर उर में हिन्दी बस जाये ,
हो हिन्दीमय व्यवहार परस्पर ।
रहे निरंतर "बाबूराम कवि "
राष्टृ सुरक्षा सार परस्पर।
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बाबूराम सिंह कवि
बड़का खुटहाँ , विजयीपुर
गोपालगंज ( बिहार )८४१५०८
मो०नं० - ९५७२१०५०३२
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On Sun, Jun 14, 2020, 2:30 PM Baburam Bhagat <baburambhagat1604@gmail.com> wrote:
🌾कुण्डलियाँ 🌾*************************1पौधारोपण कीजिए, सब मिल हो तैयार।परदूषित पर्यावरण, होगा तभी सुधार।।होगा तभी सुधार, सुखी जन जीवन होगा ,सुखमय हो संसार, प्यार संजीवन होगा ।कहँ "बाबू कविराय "सरस उगे तरु कोपण,यथाशीघ्र जुट जायँ, करो सब पौधारोपण।*************************2गंगा, यमुना, सरस्वती, साफ रखें हर हाल।इनकी महिमा की कहीं, जग में नहीं मिसाल।।जग में नहीं मिसाल, ख्याल जन -जन ही रखना,निर्मल रखो सदैव, सु -फल सेवा का चखना।कहँ "बाबू कविराय "बिना सेवा नर नंगा,करती भव से पार, सदा ही सबको गंगा।*************************3जग जीवन का है सदा, सत्य स्वच्छता सार।है अनुपम धन -अन्न का, सेवा दान अधार।।सेवा दान अधार, अजब गुणकारी जग में,वाणी बुध्दि विचार, शुध्द कर जीवन मग में।कहँ "बाबू कविराय "सुपथ पर हो मानव लग,निर्मल हो जलवायु, लगेगा अपना ही जग।*************************बाबूराम सिंह कविग्राम -बड़का खुटहाँ, पोस्ट -विजयीपुर (भरपुरवा)जिला -गोपालगंज (बिहार) पिन -841508 मो0नं0-9572105032*************************मै बाबूराम सिंह कवि यह प्रमाणित करता हूँ कि यह रचना मौलिक व स्वरचित है। प्रतियोगिता में सम्मीलार्थ प्रेषित।हरि स्मरण।*************************
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