कवि चंद्र प्रकाश गुप्त "चन्द्र" जी द्वारा 'कश्मीर का यथार्थ' विषय पर रचना

🌹कश्मीर का यथार्थ 🌹
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काश्मीर है श्रृंगार हमारा
     शिखा श्रंग श्रीनगर हमारा
भारत माता का मुकुट है प्यारा
     अमरनाथ का वरद है न्यारा
हम सब का है स्वर्ग यहां 
        मां वैष्णो का है धाम यहां
पोरस का है पुरुषार्थ यहां 
         चाणक्य का है ज्ञान यहां
सूर्य शशि की कोमल ऊष्मा
         धवल वर्फ की शोभित सुषमा
झेलम चिनाव की महिमा
           कुसुम केशर की गरिमा
खेल खेलती अणिमा गरिमा
         शक्ति शची अरु उमा रमा
दैविक अद्भुत अदम्य क्षमा 
          स्वर्ग सदा ही जिसकी उपमा
कल कल स्वर में उन्माद भरा 
        हाहाकार मचा अंधकार भरा
निर्मल मनों में जहर भरा
         देश द्रोह का दंभ भरा
नापाकों में षणयंत्र भरा
          निर्धनों को धन लोभ भरा
जेहाद धर्म आतंक भरा
           सपना जन्नत हूर भरा
निर्गत इसको करना होगा
         जेहाद समूल दफनाना होगा 
थोड़ा भूगोल बदलना होगा
          समान कोड अब लाना होगा
कालातीत हुई तीन सौ सत्तर -
  अभी और बहुत कुछ करना होगा
वसाना वीर जवानों को होगा
         पाक को सबक सिखाना होगा
युद्ध अभी अंतिम करना होगा
      सर्प दूध पिलाने से यहां विषधर हो जाये 🔥
      प्रेत बात से सिर चढ़ जाये 🤯
उपाय एक ही फन कुचला जाये 
   या प्रचण्ड अग्नि में जलाया जाये
शांति शांति चिल्लाने वाले सेक्युलर हो जायें 
उनके मंसूबे एक और पाकिस्तान बना जायें 
कायरों को जीने का अधिकार नहीं 
वीरों को होती मरने की परवाह नहीं
पूंछो उनकी कब्रों से जो धारा तीन सौ सत्तर लाये थे 
पूंछो उन ना मुराद औलादों से अब तक कितने जवान गवांये थे
माना दुर्गा कहलाने वाली ने बंग्ला देश बनाया था -
  पर तब भारत ने क्या पाया था?
शिमला समझौता नब्बे हजार बंदी मुक्त करा कर - 
 वीर सैनिकों का मान घटाया था 
दुश्मन नाग को अधकुचला कर -
 सदा सदा को बदले को भड़काया था 
निशक्त कूटनीति की टेबल पर फोड़े को नासूर बनाया था
अब किसी को तो शिव वनना था
नासूर हलाहल पीना था
रिपु गरल नष्ट कर अमृत वर्षाना था
इतिहास नया बनाना था
मोदी तपी कश्यप का वरदान है तुम में 
अमरनाथ का आशीष है तुम में
अब दुर्गा की शक्ति जगाओ अपने में
प्रलयंकारी बन जाओ आतंक मुक्ति में
तुम जैसे बेटों को पा कर दूध उतरता भारत माता की छाती में 
दुश्मन को सबक सिखाओ ऐसा अब नाक न घुसाये घाटी में 
    
      ‌🙏 वन्दे मातरम् 🙏
     
         चंन्द्र प्रकाश गुप्त "चंन्द्र"
           अहमदाबाद , गुजरात

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