देखो जनता डूब रही है,

देखो जनता डूब रही है, 
#सुशासन से कुछ पुछ रही है। 
भींगा तन, भीगे है बरतन, 
अश्रुधारा से भरे नयन, 
जलमग्न है शहर ये सारा, 
किसका रस्ता देख रही है, 
देखो जनता डूब रही है। 

केरल नहीं, नहीं मुम्बई ये तो बिहार है, 
कहते हैं सुशासन बाबू नितीश कुमार है, 
जलजला है चहुँ ओर देखो, अब किसका इंतज़ार है, 
#दरभंगा डूबा, डूबा हथुआ , डूब रहा बिहार है, 
दफ्तर, स्कूल, अस्पताल, डूब रहा हर रोजगार है, 
आंखें खोलो हे प्रधान, अब किसका इंतज़ार है, 

एक दृश्य अजब सा है देखा, 
#जलपरी को नई अदा में देखा, 
उनका तो ये व्यापार है, 
क्यों न हो, 
रोजी है सबकी, सबको अधिकार है, 
कोई ले रहा सेल्फी, तो कोई #फिल्म को तैयार है, 
आह भरता है कोई, तो कोई कथाकार है, 
कोई भी कुछ भी कर ले, 
पर नींद कैसे ले रहा जिस पर दारोमदार है, 
हर तरफ त्राहि की त्रासदी, हर ओर हाहाकार है, 
काल के गाल में समा गये, लील लिए, हम कितने तैयार है, 
हे #भास्कर,
आती है हर साल बाढ़, जैसे कि एक त्योहार है। 

देखो जनता डूब रही है, 
सुशासन से कुछ पुछ रही है।
डॉ सत्यम भास्कर भ्रमरपुरिया, दिल्ली.

Badlavmanch

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