उसने कहा अपना डर इस बात का ,किसका करूं भरोसा डर इस बात का

मंच को नमन

कुछ शेर आपके समक्ष प्रस्तुत

उसने कहा अपना डर इस बात का
किसका करूं भरोसा डर इस बात का

वो कौन सा कहां का राज चाहता
घर उसने बुलाया डर इस बात का

कह तो दिया उसने ऊंची उड़ान भर
वो कब पर कतरेगा डर इस बात का

लगने लगा है डर जमीं के खुदाओं से
वो कब बयान बदलेगा डर इस बात का

जो कह रहा है बात अमनों चमन की
वो लगाए आग कहां डर इस बात का

जो कहां माणिक क्या सच कहा उसने
कैसे  पता  लगेगा  डर  इस  बात  का
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मैं घोषणा करता हूं कि यह शेर मौलिक स्वरचित है।
भास्कर सिंह माणिक,कोंच

Badlavmanch

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