जय श्री राम
हर घर में आप बसे, सबको करो सहाय,
राम कहूं या राजवी, सीताराम कहु रघुराय।
पर्मावतारी, परोपकारी, परम कुपालू परमार्थ,
ना कछु में ओर न जानूं, आप हो बड़े सामर्थ।
मर्यादाकी मूरत हो, शुर्यवंसी परम अवतार
आपमें ही है जिंदगी, और जिंदगी का सार।
मोह, मायाकी नगरी छोडके, प्रभु चले वनवास,
राजधर्म का पालन करके,किया असुरोका नाश।
संत- कबीरा, तुलसी, गुण गावे व्यास ओर दास,
भजन,भाव और महिमाका, वर्णन करे उपन्यास।
आज्ञाकारी, पुरुषार्थ, वचनबद्ध, व्यवहार,
सकल सृष्टि के दाता, "कलम" करे जुहार।
सुथार सुनील एच. "कलम"
एम. पी. सी.सी भांडोत्रा , कंप्यूटर शिक्षक
गाम - रानोल , ता- दांतीवाड़ा, जि- बनासकांठा,
गुजरात , 385545
ई- मेल : sutharsunil01@gmail.com
मो. 9979363553
दिनांक : ६/८/२०२०
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