जल ही सदा बहार है
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जल जीवन ज्योति है सबका जल ही सदा बहार है
जल की महिमा भव्य अनुपम सचमुच अपरम्पार है
जल बूंद -बूंद अमृत सम है ,
सब हरता पाप ,ताप,गम है ।
राज है हर खुशियों का जल -
सबका ही सुचि हमदम है ।
पलता ,चलता जल ही से सकल सृष्टि संसार है
जल की महिमा भव्य अनूठा सचमुच अपरम्पार है
जल ही से पिण्ड संवारा है ,
सब करता मल धो न्यारा है ।
जल ही के उपर अवनी दृढ़ -
जल ही से उध्धम सारा है ।
जल ही तो इस सृष्टि का अदभुत अनुपम सार है
जल की महिमा भव्य अनूठा सचमुच अपरम्पार है
जल में विष्णु का आसन है ,
माँ लक्ष्मी का सुखासन है ।
जल ही में पृथ्वी फन पर ले -
करते शेषनाग शिर्सासन है ।
बल -बुध्दि परिक्षा हनुमत की हुई जल मजधार है
जल की महिमा भव्य अनूठा सचमुच अपरम्पार है
सतत सर्वदा जल को बंचाना है ,
जीव -जग का यही खजाना है ।
बर्बाद न हो जल भूल से कभी -
यह सृष्टि का ताना -बाना है ।
बेशक "बाबूराम कवि "जल संजीवन अवतार है
जल की महिमा भव्य अनूठा सचमुच अपरम्पार है
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बाबूराम सिंह कवि
ग्राम -बड़का खुटहाँ ,पोस्ट -विजयीपुर (भरपुरवा )
जिला -गोपालगंज (बिहार )
पिन-841508
मो0नं0-9572105032
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On Sun, Jun 14, 2020, 2:30 PM Baburam Bhagat <baburambhagat1604@gmail.com> wrote:
🌾कुण्डलियाँ 🌾*************************1पौधारोपण कीजिए, सब मिल हो तैयार।परदूषित पर्यावरण, होगा तभी सुधार।।होगा तभी सुधार, सुखी जन जीवन होगा ,सुखमय हो संसार, प्यार संजीवन होगा ।कहँ "बाबू कविराय "सरस उगे तरु कोपण,यथाशीघ्र जुट जायँ, करो सब पौधारोपण।*************************2गंगा, यमुना, सरस्वती, साफ रखें हर हाल।इनकी महिमा की कहीं, जग में नहीं मिसाल।।जग में नहीं मिसाल, ख्याल जन -जन ही रखना,निर्मल रखो सदैव, सु -फल सेवा का चखना।कहँ "बाबू कविराय "बिना सेवा नर नंगा,करती भव से पार, सदा ही सबको गंगा।*************************3जग जीवन का है सदा, सत्य स्वच्छता सार।है अनुपम धन -अन्न का, सेवा दान अधार।।सेवा दान अधार, अजब गुणकारी जग में,वाणी बुध्दि विचार, शुध्द कर जीवन मग में।कहँ "बाबू कविराय "सुपथ पर हो मानव लग,निर्मल हो जलवायु, लगेगा अपना ही जग।*************************बाबूराम सिंह कविग्राम -बड़का खुटहाँ, पोस्ट -विजयीपुर (भरपुरवा)जिला -गोपालगंज (बिहार) पिन -841508 मो0नं0-9572105032*************************मै बाबूराम सिंह कवि यह प्रमाणित करता हूँ कि यह रचना मौलिक व स्वरचित है। प्रतियोगिता में सम्मीलार्थ प्रेषित।हरि स्मरण।*************************
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