27/8/2020
नए नए रास्ते।
स्वरचित रचना।
ख़ुदसे बनाता जा तू जिंदगी के रास्ते।
अपने वास्ते और दूसरों के वास्ते।।
जल्दी नही है कोई आहिस्तेआहिस्ते।
अपने वास्ते और दूसरों के वास्ते।।
भेड़ की चलने से प्यारे कुछ नही मिल पाएगा।
ये जीवन अमोल है प्यारे खाली निकल जाएगा।
चलदे नए सफर पर बना बनापगडण्डी
खुदबखुद बन जायेंगे रास्ते।
अपने वास्ते और दूसरों के वास्ते।।
जिंदगी एक जुआ है सबसे जीता ना जाये।
जो थोकड़ खाकर आगे बढ़ता वही नए राह बनाए।।
कुछ नही है दुनिया में नामुमकिन
जो मन बना ले उसके वास्ते।
जो चाहते है तुझे गिराना उनके वास्ते।।
जब तक थोकड़ नही मिलती है
सीख नही पाते है।
हार कुछ नही होता या तो जीत या
फिर जीत की राह में होते है।।
तुझको चलना है तय करना है रास्ते।
मन्जिल देख रहा है रास्ता तेरे वास्ते।।
एक दिन दुनियॉ जानेगी नाम से तेरे वो रास्ते।
जो खो गया उसको पाने के वास्ते।।
प्रकाश कुमार
मधुबनी,बिहार
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