नारी का सम्मान
नारी शक्ति को पहचानो ,
नारी का सम्मान करो ।
कभी भूल वस में आकर ,
ना नारी का अपमान करो ।।
नारी ही घर की लक्ष्मी हैं ,
घर की रौनक है नारी ।
उस घर को जाकर के देखो ,
जिस घर में नही रहती नारी ।।
नारी ही रण चंडी है ,
नारी दुर्गा काली है ।
रण क्षेत्र में जो कि दुश्मन का ,
शीस काटने वाली है ।।
नारी ही दुर्गावती है और ,
नारी ही लक्ष्मी बाई है ।
जो गोरों से खूब लड़ी ,
और नानी याद दिलाई है ।।
नारी ही इंद्रा गांधी थी ,
जिसने भारत पे राज किया ।
नारी ही प्रतिभा पाटिल है ,
जिसे अपने देश ने ताज दिया ।।
नारी ही कल्पना चावला थी ,
जिसने अन्तरिक्ष की सैर किया ।
नारी ही पी टी उषा है ,
जिसने भारत का नाम किया ।।
नारी जब तक की नारी है ,
वरना बन जाती ज्वाला है ।
नारी एक प्रेम की मूर्ति है ,
नारी पूजा की माला है ।।
नारी के बिन पुरुष अधूरा है ,
ये एक गाड़ी के दो पहिए है ।
नारी तनहा रह सकती हैं ,
लेकिन पुरुष नहीं रह सकते हैं ।।
बंशीधर शिवहरे
मेहता सिवनी ( म.प्र)
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