नारी का सम्मान#कवि वंशीधर शिवधरे

नारी का सम्मान


नारी  शक्ति को पहचानो ,
नारी का सम्मान करो ।
कभी भूल वस  में आकर ,
ना नारी का अपमान करो ।।

नारी ही घर की लक्ष्मी हैं ,
 घर की रौनक है नारी ।
उस घर  को जाकर के देखो ,
जिस घर में नही रहती नारी ।।

नारी ही रण चंडी है ,
नारी दुर्गा काली है ।
रण क्षेत्र में जो कि दुश्मन का ,
शीस काटने  वाली है ।।

नारी ही दुर्गावती है और ,
नारी ही लक्ष्मी बाई है ।
जो गोरों से खूब लड़ी ,
और नानी याद दिलाई है ।।

नारी ही इंद्रा गांधी थी ,
जिसने भारत पे राज किया ।
नारी ही प्रतिभा पाटिल है ,
जिसे अपने देश ने ताज दिया ।।

नारी ही कल्पना चावला थी ,
जिसने अन्तरिक्ष की सैर किया ।
नारी ही पी टी उषा है ,
जिसने भारत का नाम किया ।।

नारी जब तक की नारी है ,
वरना बन जाती ज्वाला है ।
नारी एक प्रेम की मूर्ति है ,
नारी पूजा की माला है ।।

नारी के बिन पुरुष अधूरा है ,
ये एक गाड़ी के दो पहिए है ।
नारी तनहा रह  सकती हैं ,
लेकिन पुरुष नहीं रह सकते हैं ।।


          बंशीधर शिवहरे
        मेहता सिवनी ( म.प्र)

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