'बदलाव मंच' कवि व समीक्षक भास्कर सिंह माणिक कोंच जी द्वारा 'मन मानता नहीं' विषय पर रचना

मंच को नमन
विषय- मन मानता नहीं

सच कहे बिन मेरा मन मानता नहीं
वो जग के  रस्मो  रिवाज जानता नहीं

चाहता  तो   मान  दूसरों  से  लेकिन
पर  सम्मान  करना  वो  जानता  नहीं

जो वादा करके हमसे गया था कल
आज वह व्यक्ति हमें पहचानता नहीं

घाव पर मरहम लगाता कौन माणिक
दोस्त  जब  मानव  में  मानवता  नहीं
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मैं घोषणा करता हूं कि यह रचना मौलिक स्वरचित है।
भास्कर सिंह माणिक, कोंच

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