'बदलाव मंच' कवि व समीक्षक भास्कर सिंह माणिक कोंच जी द्वारा 'शिक्षक समाज का मार्गदर्शक' विषय पर रचना

मंच को नमन
विषय- शिक्षक समाज का मार्गदर्शक

हां सच है
शिक्षक
समाज का मार्गदर्शक होता है
शिक्षक
वह कुम्हार है
जो कच्ची माटी से
शीतल जल देने वाला
हारे थके पथ को तृप्त करने वाला
अनूठा
घड़ा बना देता है
वैसे ही शिक्षक
अपने ज्ञान से
अबोध
कुबुद्धि
घमंडी
दुराचारी
विचारधारा को
अपने ज्ञान से
समाप्त कर देता है
तन से प्रकाश की ओर
ले जाने वाला
समाज का
शिक्षक व अनूठा अंग है
जिसकी तुलना
परमात्मा से की जाती है
निसंदेह शिक्षक
शिक्षक समाज का मार्गदर्शक
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मैं घोषणा करता हूं कि यह रचना मौलिक स्वरचित है।
भास्कर सिंह माणिक,कोंच

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