*शीर्षक* - *बाहुबलियों का कोहराम*
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उत्तर दक्षिण पूरब पश्चिम कोहराम मचा है
पूरे भारत में बाहुबलियों ने
ताण्डव रचा है
कहीं बेटियां मरतीं इज्जत लुटती नरसंहार मचा है
सभी दलों में बाहुबलियों का एक सुरक्षित कोटा है
नकली शेर सभी हैं आदर्शों का टोटा है
संसद से सड़कों तक सियारों का हाहाकार मचा है
जिस जनता ने चुना उन्हें उन्हीं को रखा नचा है
दक्षिणपंथी बामपंथी सभी ने अपना पाला लिया खिंचा है
सभी ने अपने अपने बाहुबलियों की रक्षा में सुरक्षा जाल रचा है
मीडिया न्याय भी निष्पक्ष नहीं यहां सब बिकता है
बाहुबल धन-बल पदबल भारी हो तो कोई नहीं टिकता है
कानपुर उन्नाव अभी गरम है इसलिए विपक्ष अभी एक दिखता है
राष्ट्र वाद का उदय हुआ है इसलिए सूरज में भी धब्बा दिखता है
सावन के अंधों को हर ओर हरा हरा दिखता है
हर दुःखद घटना में उनको अपना सिंहासन दिखता है
राजनीति हावी हो जाती है मुद्दे गौण हो जाते हैं
ऐसी ही बेशर्म हाराकिरी में बाहुबली छुप जाते हैं
अब ऐसे बाहुबली सहस्त्र बाहुओं के खण्ड खण्ड बाहु चाहिए
भारत को फिर से सत युग का परशुराम चाहिए
जनक सुतायें दशाननों से सुरक्षित होना चाहिए
भारत भूमि बाहुबली दैत्यों से मुक्त होना चाहिए
पूरे भारत में बाहुबलियों ने ताण्डव रचा है
उत्तर दक्षिण पूरब पश्चिम कोहराम मचा है
🙏 वन्दे मातरम् 🙏
चंन्द्र प्रकाश गुप्त चंन्द्र
अहमदाबाद , गुजरात
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मैं चंन्द्र प्रकाश गुप्त "चंन्द्र" अहमदाबाद, गुजरात घोषणा करता हूं कि उपरोक्त रचना मेरी स्वरचित मौलिक एवं अप्रकाशित है
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