हास्य व्यंग्य कविता 'आज की बड़ी बला हो तुम'-कवि अरविंद अकेला जी।

हास्य व्यंग्य कविता 

आज की बड़ी बला हो तुम 
------------------------------
नारी अब तुम नहीं अबला हो, 
अब की सशक्त सबला हो तुम ,
क्या मजाल जो कोई आख उठाये,
आज की बड़ी बला हो तुम। 

देख रहा हूँ आज के मर्दों को, 
अपनी अंगुलियों पर नचाती हो,
सारा जमाना अब तेरे पीछे,
भटयुग की बड़ी कला हो तुम, 

तेरी महिमा बड़ी है निराली,
तेरा वार जाये नहीं खाली, 
आज की तुम बड़ी योद्धा हो,
दुनिया की बड़ी करबला हो तुम। 

जब भी जाता हूँ किसी घर में, 
वहाँ तेरी चनचनाहट सुनता हूँ ,
गर तेरी कोई बिरोध करे,
उसके लिये ज़लजला हो तुम।

हमने तुम्हें दुर्गा, लक्ष्मी,बनाया,
ऊँचे सिंहासन पर बैठाया, 
पर तुम करती मान मर्दन  मेरा ,
मेरी ही बजाती हो तबला तुम। 
          ------0-----
          अरविन्द अकेला

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ