छत्तीसगढ़ की ज़िंदादिल कवयित्री माधवी गणवीर की ज़िंदादिल रचना "ज़िंदादिली"

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शीर्षक - *जिंदादिली*

ना उदास हो, न निराश करो मन को,
जिंदगी मिली है, तो जिंदादिली से रहो।

तदबीर से बिगड़ी हुई,तकदीर बनती है,
जिंदा रहना है तो तरकीबे आजमाते रहो।

राह में पत्थर हजार मिलेंगे,पर याद रखो,
न हारो न थको अपना हुनर दिखाते रहो।

हर वक्त बजता रहे कानों में युद्ध का बिगुल,
जाने कब कुच कर जाना हो तैयारी रखो।

आंखों में ख्वाबों का महल,कभी टूटने ना देना,
नींद हो, ना हो, ख्वाबों को भरमा ते रहो।

जाने कब जिंदगी की शाम ढल जाए ' माधवी '
हुस्न है तब तक सजते सवरते रहो।

झूठ नहीं सच कहते हैं, लोग मियां,
दिलों की दहलीज पर,वक्त बेवक्त दस्तक देते रहो।

माधवी गणवीर
छत्तीसगढ़

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