मंच को नमन 🙏🙏💐💐
विषय : मेरे पापा..
विधा : कविता..
पापा..
जिनसे आज मेरे जीवन का
अस्तित्व विद्यमान हैं..
भगवान का दूसरा रूप औ
मेरे प्रेरणास्रोत हैं, मेरे पापा..
याद आता हैं वो बचपन
जिसमें इतनी गलतियाँ औ
नादानियाँ की हैं मैंने, पर..
हमेशा संभाला मेरे पापा ने मुझे..
मेरी हर छोटी - बड़ी ख्वाहिशों को
बिना किसी सवाल के पूरा किया..
मेरे पापा ने...
अविस्मरणीय हैं वो पल जब
किसी भी बात को बड़ी सहजता से
कह जाती थी मैं और उनका
मुस्कुराकर मेरे सिर पर हाथ फेरना..
जब भी याद आता हैं वो पल
मन हो उठता हैं विचलित..
और ना मिटने वाली यादें
तरोताज़ा हो जाती हैं..
मेरे पापा.. मेरे जीवन की सबसे
अनमोल धरोहर हैं...
वो आज इस दुनिया में मेरे साथ तो नहीं पर..
मेरी यादों में आज भी वे "चिरस्मरणीय " हैं..
और सदा - सदा ही रहेंगें....
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"शालिनी कुमारी"
"शिक्षिका "
मुज़फ़्फ़रपुर ( बिहार )
(स्वरचित मौलिक कविता )
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