अरविंद अकेला जी की लघुकथा #पहले स्वयं को सुधारो#बदलाव मंच

लघुकथा 

    पहले स्वयं को सुधारो
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      माँ, "घर में भाभी दिखाई नहीं दे रही है। भाभी कहीं गई है क्या?" 
      घर में आते हीं सुशीला देवी यह बात अपनी मायके में अपनी माँ कमला देवी से पूछ बैठी।"
       "तुम्हारी भाभी घर के कुछ काम से बाजार  गई है, थोड़ी देर में आती हीं होगी। आखिर क्या बात है जो अपनी भाभी को आते हीं खोज रही है।"
     "देखो माँ,आजकल तुम अपनी इकलौती पतोहू रश्मि देवी को कुछ ज्यादा हीं छूट दे रखी है। कहीं कुछ उन्नीस बीस हो गया तो फिर हमें यह नहीं कहना कि सुशीला ने कुछ नहीं कहा।"
     "क्या तुम अपनी ससुराल में अपनी सास से यह कहकर आयी हो कि मैं अपनी माँ से मिलने जा रही हूँ और कहाँ कहाँ जा रही हूँ। बताओ! 
     अपनी माँ कमला देवी की यह बातें सुनकर  सुशीला देवी के मेकअप किये हुयेे चेहरे का रंग उतर चुका था।
    नहीं माँ, मैं अपनी सास को बताकर नहीं आयी हूँ, उन्हें बिना बताये हीं चली आयी हूँ ।"
     यह बात सुशीला देवी अपना मुँह लटका कर अपनी माँ से बोली।
        कमला देवी ने अपनी बेटी को समझाते हुये कहा "देखो सुशीला मैरी एक बात तुम स्पष्ट सुन लो, शादी के बाद किसी भी बेटी को अपने  मायके के आंतरिक मामले में दखल नहीं देनी चाहिए और वेवजह किसी को बदनाम भी नहीं करना चाहिए ।सुशीला एक तुम हो, जो बिना सास को बताये बेबजह यहाँ चली आयी हो और एक तुम्हारी भाभी है जो अपनी सास को बताकर  बाजार गयी है। समझ लो, दोनों में क्या अंतर है। इसलिए पहले स्वंय को सुधारो, दूसरों को सुधारने की कोशिश मत करो।"
       कमला देवी के पास में हीं बैठे एक छोटे बच्चे ने ताली बजाते हुए कहा कि "वाह दादी तुने क्या बात कही है।"
      अब सुशीला को अपनी गलती का अहसास हो चुका था।  
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      अरविन्द अकेला

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1 टिप्पणियाँ

  1. वाह, बहुत अच्छे।
    बहुत खूब।
    दिल से आभार आपका आदरणीय दीपक भाई।

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