गौमाता

मेरी यह कविता गौमाता की स्थिति और दुर्दशा पर आधारित है
 
            गौमाता
         जन जन की माता गौ माता है
 हमारा इससे पवित्र नाता है

            इस का दूध सम्स्त विश्व पीता है
दूध पी कर मानव स्वस्थ जीवन जीता है

         हम गाय को माता मानते हैं
इस का महत्व हम जानते हैं
बहुधा लोग इसे घरों मे पालते हैं

     आज गाय माता की दयनीय है दशा
होता है दिल उदास जब देखता हूँ दुर्दशा
कैसे बताउं गाय माता की व्यथा

     लोग गाय को खूब चाव से पालते हैं
खूब चारा खिला कर दायित्व निभाते हैं
गाय का दूध दो लेते हैं
भटकने के लिए छोड़ देते हैं
      
   गाय मा सड़कों पर  गली गली भटकती है
गौ माता कुड़े कर्कट पर झपटती हैं
भूख प्यास से तड़पती है
बच्चों और बूढों पर भड़कती हैं

        मन यह सोच कर दुखी होता है
यह कैसी माता है जिसका न कोई सम्मान
किस मुंह से हम बनते हैं इसकी संतान
जो देते नही गाय माता को मान
गाय संगठनों का इस और नहीं ध्यान

     गाय का सरेआम अवैध व्यापार होता है
खुले आम गाय का संहार होता है

     हमारे नेता चुनावों मे गाय का खूब उपयोग करते हैं
गौ रक्षा के बड़े बड़े वादे करते हैं
गाय सेवा का दम भरते हैं
  
      सत्ता में आते ही वादे भूल जाते हैं
सत्ता के मद मे चूर हो जाते हैं

       गौ हत्या पर रोक लगनी चाहिए
इस मानवीय मुद्दों पर एक होना चाहिए

             
              अशोक शर्मा वशिष्ठ

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