एक नदी की धारा दोनो,
कुछ दुर साथ ये चलते है ।
एक निश्चित मंजिल पर आकर,
अलग,अलग ये बहते है'।
एक ही बगिया के फूल है दोनो,
एक डाली पर खिलते है।
घर की शोभा दूनी होती,
जब ये दोनों मिलते है ।
दुनियाँ का सबसे पवित्र,
ये पावन प्यारा रिश्ता' है।
देख बहन को खुशियों में,
दिल भाई का भी हँसता है।
बहना का सम्मान है भाई,
हरदम 'दिल मे' रहता है।
नही हजारो या लाखों मे,
अनमोल ये बंधन होता है।
अभागा' सबसे वो भाई होता,
बहन का प्यार जो खोता है।
कोसों दूर भइया का घर' हो,
इन्जार बहन को होता है।
'रक्षाबंधन' पर मधुर -मिलन का,
दृश्य वो प्यारा होता है।
बहना के स्नेह भैया की,
कलाई पर धागे मे बँधता है ।
भातृ-स्नेह की धारा बहती मन,
निर्मल बहना का होता है।
एक हजारों में मेरी बहना है,
भईया हरदम कहता है।
🌷समाप्त🌷
स्वरचित और मौलिक
सर्वाधिकार सुरक्षित
लेखिका:- शशिलता पाण्डेय
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