रेशम का धागा

कविता 
   रेशम का धागा
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दुनियाँ के पावन पर्वों में ,
सबसे अनुठा रक्षावंधन का त्योहार,
इसके रेशम के धागों में छिपा,
भाई बहन का निर्मल प्यार।

दो भाई बहन संग संग खेलते,
संग संग लड़ने को भी तैयार,
जब-जबएक दूजे से दूर रहते,
आता समझ में एक दूजे का संसार।

रेशम का धागा जोड़ता एकदूजे को,
देता रिश्ते को एक नयी धार,
जब-जब बहना संकट में होती,
रहता भाई बहना के लिये सदा तैयार।

जब भी होती बहना की शादी,
भैया सब कुछ देता बहना के लिये वार,
जब उठती बहना की डोली,
बहते नयनों से भैया के अश्रुधार।

बड़ा हीं मजबूत रेशम का धागा,
नहीं काट सकती कोई तलवार,
बड़ा अटूट रिश्ता है यह,
अटूट है भाई बहन का प्यार।
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         अरविन्द अकेला

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