ले लो जनम फिर से मेरे लाल इन्कलाबी

!! ले लो जनम फिर से मेरे लाल इन्कलाबी !!
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करती है याद माता ,
रण बान्कुरे फोलादी ।
ले लो जनम फिर से ,
मेरे लाल इन्कलाबी ।।
आजादी देदी वीरो ,
तुम शान माँ की प्यारी ।
कुर्बान वतन हित में ,
हो ज्ञान धर्माचारी ।।
दु:श्मन को सिखा दीना,
रंग तीनों लाजबाबी ।
ले लो जनम फिर से ,
मेरे लाल इन्कलाबी ।।
गाँधी,पटेल आओ ,
बन सत्य शान्ति धारी ।
चन्द्रशेखर,भगत ,विस्मिल,
आ जाओ क्रांतिकारी ।।
बनना है आत्मनिर्भर ,
आजाद आशावादी ।
ले लो जनम फिर से ,
मेरे लाल इन्कलाबी ।।
वाणी में सौम्यता हो ,
संकल्प शक्ति धारी ।
सदभाव बढ़े निष्ठा ,
सौहार्द सरोकारी ।।
बढ़ जाये विजय रथ भी ,
सत्कर्म काव्य - वादी ।
ले लो जनम फिर से ,
मेरे लाल इन्कलाबी ।।
सम्मान वतन रक्षक ,
साहस हो चमत्कारी ।
शिव-शक्ति नमन वन्दन ,
आशीष चक्र धारी ।।
क्रांति मशाल चमके ,
हर जंग हो प्रभावी ।
ले लो जनम फिर से ,
मेरे लाल इन्कलाबी ।।
जलती रहेगी ज्वाला ,
सीने में लाल  तेरे  ।
धोखा नहीं है खाना ,
खतरे घने अन्धेरे ।।
मुश्किल भी "अनुज"लिखता,
चेहरे पै ला गुलाबी ।
ले लो जनम फिर से ,
मेरे लाल इन्कलाबी ।।
करती है याद माता ,
रण बान्कुरे फौलादी ,
ले लो जनम फिर से ,
मेरे लाल इन्कलाबी ।।
डॉ अनुज कुमार चौहान "अनुज"
अलीगढ़ (उत्तर प्रदेश)

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