सुप्रसिद्ध कवयित्री गीता पाण्डेय जी द्वारा 'राधा अष्टमी' विषय पर सुंदर रचना

कविता-राधाष्टमी पर विशेष
दिनांक-26/08/2020
दिन-बुधवार
प्रकृति-स्वरचित

राधाष्टमी की, ढेर  सारी  हार्दिक  शुभ कामनाएँ।
राधा  जैसे  संघर्ष  से, आप  भी सफलता   पाएँ।

श्रीकृष्ण  हुए थे, रुक्मिणी  के  ही स्थाई  हिस्सा।
राधा, श्रीकृष्ण के साथ जोड़ ली, स्थाई   किस्सा।

"रुक्मिणीकृष्ण" का नाम, नहीं दिखता है  जोड़ा।
राधा बिना कृष्ण लिखने को किसी ने नहीं छोड़ा।

राधा बिना कृष्ण नहीं,कृष्ण बिना राधा भी मौन।
राधा कृष्ण दो,पर है एक,सिर्फ समझना है कौन?

राधा,कृष्ण प्रेम रुपी सागर के ही हैं वे दोनों पाट।
चलती लहरें, हिलोरें लेती,खोजती रहती हैं बाॅट।

राधा में ही  है, कृष्ण का वह अद्भुत  प्रेममयी रुप।
जिसका विषय वासना से उपर उठा हुआ स्वरुप।

राधा  के  प्रेमशक्ति से,गोवर्धन गिरि किये  धारण।
देवाधिदेव इन्द्र भी हुए पराजित जिसके  कारण।

राधाकृष्ण के प्रेम मुर्ति को बार- बार अभिनन्दन।
गीता पाण्डेय का करबद्ध मुद्रा में , हार्दिक वंदन।

गीता पाण्डेय, रायबरेली उत्तर प्रदेश

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ