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आओ हम सब एक बने छोड़ बुराई नेक बने।
जन जन अपना करे सुधार आज समय की यही पुकार।
दहेज दानव का नाम मिटायें जलती बहु बेटी को बचायें।
जागरुक हो जतन करें हम निज डो़ली नहीं लुटे कहार ।
सब कोई सोचे समझे गुने भ्रष्ट नेता कदापि ना चुनें ।
भ्रष्ट नेताओं के कारण ही देश में बढ़ता पापाचार ।
सत्य धर्म से ना मुंह मोडे़ मन्दिर मस्जिद झगडा़ छोडे़।
खुशी से हक देवें सबका हम जहाँ जिसका बनता अधिकार।
फँसे न निज पद स्वार्थ क्रोध में लगें सतत शुभ सत्य शोध में।
भारत की संस्कृति सभ्यता पावनतम कहता संसार।
कल पर कोघ बात ना टाले गद्दारों को खोज निकाले ।
दृढ़ देश का प्रावधान हो धोखा नही खाये सरकार।
जियें मरे हम राष्टृ धर्म में मानल धर्म शुभ कर्म में ।
यही भाव हो जनमानस में सादा जीवन उच्च विचार।
अनुपम कवि लेखक पत्रकार सकल हिन्दी सेवी संसार ।
हिन्दि में हर कार्य करे हम मातृभाषा का हो प्रचार ।
साक्षरता अभियान चलायें गोबध बिल्कुल बन्द करायें ।
पाल पोषकर गौ माता को स्वर्ग वसुधा पर करें साकार।
विष पीकर भी मुस्करायें सेवा में शुभ कदम बढा़यें ।
पर पीडा़ हर करे भलाई "बाबूराम कवि " है तैयार ।
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बाबूराम सिंह कवि
बड़का खुटहाँ , विजयीपुर
गोपालगंज ( बिहार )
मो0नं0- 9572105032
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On Sun, Jun 14, 2020, 2:30 PM Baburam Bhagat <baburambhagat1604@gmail.com> wrote:
🌾कुण्डलियाँ 🌾*************************1पौधारोपण कीजिए, सब मिल हो तैयार।परदूषित पर्यावरण, होगा तभी सुधार।।होगा तभी सुधार, सुखी जन जीवन होगा ,सुखमय हो संसार, प्यार संजीवन होगा ।कहँ "बाबू कविराय "सरस उगे तरु कोपण,यथाशीघ्र जुट जायँ, करो सब पौधारोपण।*************************2गंगा, यमुना, सरस्वती, साफ रखें हर हाल।इनकी महिमा की कहीं, जग में नहीं मिसाल।।जग में नहीं मिसाल, ख्याल जन -जन ही रखना,निर्मल रखो सदैव, सु -फल सेवा का चखना।कहँ "बाबू कविराय "बिना सेवा नर नंगा,करती भव से पार, सदा ही सबको गंगा।*************************3जग जीवन का है सदा, सत्य स्वच्छता सार।है अनुपम धन -अन्न का, सेवा दान अधार।।सेवा दान अधार, अजब गुणकारी जग में,वाणी बुध्दि विचार, शुध्द कर जीवन मग में।कहँ "बाबू कविराय "सुपथ पर हो मानव लग,निर्मल हो जलवायु, लगेगा अपना ही जग।*************************बाबूराम सिंह कविग्राम -बड़का खुटहाँ, पोस्ट -विजयीपुर (भरपुरवा)जिला -गोपालगंज (बिहार) पिन -841508 मो0नं0-9572105032*************************मै बाबूराम सिंह कवि यह प्रमाणित करता हूँ कि यह रचना मौलिक व स्वरचित है। प्रतियोगिता में सम्मीलार्थ प्रेषित।हरि स्मरण।*************************
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