रिश्तों की आधुनिक परिभाषा
भाई - धन लोलुपता के लिए बन गया क़साई
पावन रिश्तों की धज्जियां उड़ाई
बहन - संपत्ति के चक्कर मे बन बैठी डायन
भाई भाभी का छीना सुख चैन
साला - वहन के पवित्र रिश्ते पर जड़ा ताला
महज स्वार्थ के लिए रिश्ते को तार तार कर डाला
भाभी - जो कभी होती थी रिश्तों की चाबी
झूठी शान के चक्कर में रिश्तों में आग लगा बैठी
माता - कलयुगी माता बन गई विमाता
अपनी ही संतान का सुख उसे नहीं सुहाता
बाप - कलयुगी बाप करता रहा सदा पाप
अपने स्वार्थ हेतु नहीं करता पश्चाताप
चाचा- जो सदा अपने भतीजे भतीजियों को था खिलाता
शादी के बाद बदल ही लिया नाता
छोटी छोटी बातों पर भतीजे भतीजियों को है धमकाता
सदा अपनी बीवी का गुणगान करता रहता
चाची- जिस ने आते ही धाक जमाई
हरे भरे धर में नफरत की दीवार उठाई
ताया - जिसे होना चाहिए था वरगद का साया
रिश्तों के मर्म न समझ पाया
जमाई - बन बैठा घर जमाई
इज्जत भी गंवाई, करवा ली अपनी जगहंसाई
मामा - भांजे भांजियों को न दिया कभी प्यार
कंस बन गया देता भांजे भांजियों को सदा फटकार
बेटा - जो था कभी कुलदीपक
शादी के बाद बीवी का बन गया नौकर
मां बाप को मारता फिरता रहता ठोकर
भतीजा - चाचाओं व तायों से है नफरत करता
झूठी हमदर्दी का है दम भरता
बुआ यह रिश्ता बड़ा ही पाक
होलिका ने कटवा दी रिश्तों की नाक
हे प्रभु कुछ ऐसा करो
इन रंगहीन रिश्तों में प्यार का रंग भरो
अशोक शर्मा वशिष्ठ
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