भारतीय संस्कृति की वो मिशाल थी।
साड़ी सर्वत्र, उच्च विचार, मंद मुस्कान,
भारतीय राजनीति की वो ढाल थी।
१४ फरवरी पावन दिवस को,
इस धरा पर आई,
साक्षात देवी अवतार थी।
भारतीयों को विदेशी चंगुल से छुड़ाया,
अपनेपन का सबको बोध कराया,
देशहित की खातिर जीवनपर्यन्त कर्तव्य निभाया,
आदर सत्कार की कला से सबको उन्होंने अपना बनाया।
जिंदगी जिंदादिली का नाम है,
यही सुबह है, यही शाम है,
जब तक है जीवन देश के नाम है,
मरकर भी देश लेता नाम है,
दरियादिली, सादगी, निर्भिकता,
सब उनके ही उपनाम है।
धन्य वो धरती, धन्य वो माँ,
जहाँ जन्म लीं "सुषमा",
"भास्कर" का शत् शत् नमन् आपको ,
"स्वराज" की तासीर बरकरार जवां,
नम आँखे, दिल विह्वल, क्रंदन शमाँ,
आप हमारे दिल में है बस यहाँ बस यहाँ।
डॉ सत्यम भास्कर भ्रमरपुरिया, दिल्ली.
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