युगदृष्टा गुरुदेव नमन

!!  युगदृष्टा गुरुदेव नमन !!

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वनवाणी ,महुआ , कणिका ,
क्षणिका सृजन ,संस्कृति-दर्शन ।
मानव -ईश्वर सम्पर्क रूप ,
शिल्पकला ,नाटक ,गायन ।।
मनुषर धर्म ,शांतिनिकेतन ,
पृकृति प्रेम शैली रंग उत्तम ।
राग-विशेष आभास भावों का,
बाल्मीकि-प्रतिभा मन भावन ।।
गाँधी जी को महात्मा उचारा ,
मानवता का पाठ प्रचारा  ।
उपनिषद भावना परिलक्षित,
अद्भुत ज्ञान शील विस्तारा ।।
जलियाँवाला काण्ड हुआ तब ,
चीख-चीख ह्रदय पुकारा ।
राजा पंचम की पदवी ,
नाइटहुड से किया किनारा ।।
दो-दो राष्ट्र गान लिख डाले ,
नवी ऊर्जा सर्जक चरित्र ।
आमार सोनार बांग्ला सजता ,
सजता जन-गण-मन पवित्र ।।
अद्ध्यात्मवाद सैंग अठखेली भी ,
साहित्य दिशा अर्जक विचित्र ।
सिरमोर साहित्य नोबेल विजेता ,
गीतांजलि परम हित चित्र ।।
युगदृष्टा गुरुदेव आपका ,
बार-बार अभिनन्दन करता ।
श्रद्धा के कुछ फूल चढाकर ,
"अनुज" नमन वन्दन करता ।।

डॉ अनुज कुमार चौहान "अनुज"
अलीगढ़ (उत्तर प्रदेश)

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