रामधारी सिंह दिनकर#आरती तिवारी सनत जी द्वारा#

मंच नमन🙏
राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर जी को शत् शत् नमन है।🙏🙏

राष्ट्रकवि दिनकर जी की रश्मिरथी की
प्रथम सर्ग की 4 पंक्तियां मैंआपके समक्ष‌ प्रस्तुत करती हूं।🙏
ऊंच-नीच का भेद न माने, वही श्रेष्ठ ज्ञानी है,
दया- धर्म जिसमें हो सबसे वही पूज्य प्राणी है।
क्षत्रिय वही, भरी हो जिसमें निर्भयता की आग,
सबसे श्रेष्ठ वही ब्राह्मण है, हो जिसमें
तप - त्याग 


विषय-  
रामधारी सिंह 'दिनकर'
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हिंदी साहित्य के बड़े नाम में दिनकर
ग्राम सिमरिया मुंगेर ( बिहार)
पिता रवि सिंह माता मनरूप देवी
के‌ घर २३ सितंबर१९०८ को जन्म लिया  धरा पर दिनकर सूर्य प्रकाश
हिंदी के प्रमुख लेखक कवि निबंधकार
ओजस्वी राष्ट्रभक्ति से ओतप्रोत
हिंदी साहित्य के अनमोल रतन
साहित्य जगत के चमकते सितारे
रश्मिरथी के रचयिता, उर्वशी,रेणुका
हुंकार, रसवंती,परशुराम की प्रतीक्षा,
संस्कृति के चार अध्याय, कुरूक्षेत्र
ऐसे सुंदर सृजन किया शब्दों किया हुंकार..
कविताओं में ओज विद्रोह
आक्रोश क्रांति की पुकार..
आधुनिक युग के श्रेष्ठ वीर रस के कवि
स्वतंत्रता के पूर्व विद्रोही कवि
स्वतंत्रता के बाद राष्ट्रकवि के रूप में
प्रख्यात हुए..
पटना विश्वविद्यालय से इतिहास,
 राजनीति शास्त्र दर्शन शास्त्र पढ़ा..
साहित्य जगत में इतिहास रचा..
उर्दू संस्कृत मैथिली बांग्ला अंग्रेजी
 भाषा का भी ज्ञान भंडार भरा..
१९५९ साहित्य अकादमी पुरस्कार
१९५९ पद्मभूषण, १९७२ में
ज्ञानपीठ से सम्मानित हुए
रश्मिरथी के सारथी बने
हे राष्ट्रकवि तुमको वंदन नमन
स्वतंत्रता का नांद किया
साहित्य जगत में रोशन हुआ
दिनकर सूर्य सा चमक लिए
२४ अप्रैल १९७४को सूर्य सितारा
क्षितिज में विलीन हुआ
रश्मि रथी का छाप छोड़ गये
जन जन के मानस में बस गए
आज वह दिनकर नाम बना
भारत का सौभाग्य बना
१९९९भारत  सरकार ने डाक टिकट
जारी किया..
हे मातृभूमि के सूर्य तिलक
तुमको मेरा है वंदन नमन...
ओज के प्रकाश पुंज..
दिनकर नाम हुआ..!!!



आरती तिवारी सनत
२३/०९/२०२०
©® दिल्ली

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