कवि एन.के.सरस्वती जी द्वारा 'भगत सिंह दीवाने' विषय पर रचना

भगतसिंह दीवाने

वो भगत सिंह ऐसे दीवाने ,
लाहौर जेल चले कमाने ।
भारत माँ के आन की खातिर,
वो जान चले  गवाँने ।।

चलो भगत सिंह दम घुटता हैं,
इन काल कोठरी दीवारों से।
सजा नही ये साजिस थी ,
ये बात सुनी हजारों से ।।

क्या खास लिखूं सुनसान पड़ा ,
उस आजादी  के नायक की ।
जेलों में काटी जिंदगी ,
ये कहानी बड़ी भयानक थी ।।

कह ऐंन के आज भगतसिंह ,
कैसे भूले उस फाँसी को ।
जन्म दिया तुझको भगतसिंह , 
धन्य हो उस माँजी को।।


ऐन.के.सरस्वती
मौलिक स्वरचित रचना
दादुका  कोटपूतली
जयपुर(राजस्थान)

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