नमन वीणा वादिनी
दिनांक--28/09/2020
दिवस-- सोमवार
विषय-- वीर भगत सिंह
विधा --छंद मुक्त
तेईस मार्च का दिन था,
बगल में खड़ा एक जिन्न था।
तीनों वीरों को झुलाया फंदे पर,
नजारा वहां का अजीब भिन्न था।
उजाला हर तरफ बुझा था,
हंसते-हंसते इन वीरों ने।
फांसी के फंदे को चूमा था,
देश की खातिर शहीद हो गए,
उसके लिए अपना फर्ज निभाना था।
भगत सिंह का मात्र तेईस साल,
इंकलाब का नारा देकर,
मौत से निडर होकर किया कमाल।
मतवाला भगत हंसता हुआ,
भारत माता का जयघोष करता वो लाल।
वह तो आजादी का दीवाना था,
भारत मां की लाज रख रख ऐसा मस्ताना था।
वतन पर हंसते हुए निसार हो गया,
ऐसा वह वीर मर्दाना था।
गजब का वीर था वह,
बस जुबान खामोश पर हृदय द्रवित था,
भारत मां की आजादी पाने को,
अपने लहू से रंग दिया फांसी का फंदा,
जल्लाद को भी मजबूर कर दिया,
शहीद भगत ने रुलाने को।
इंकलाब का नारा लिए,
दिखाया आजादी का सपना।
परवाह नहीं थी अपने प्राणों की,
आजादी के ख्वाब आंखों में भरना।
रचनाकार-- नीलम डिमरी
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