कवि मलकप्पा अलियास महेश जी द्वारा 'भगत सिंह' विषय पर रचना

भगत सिंह 

रोम रोम में आजादी की  
लहर भर लेके प्राण त्यागे  देश - हेतु |

जन्म लिया था मांँ की 
सेवा हेतु साथियों 
को साथ लेकर |

कोमल स्वभाव का जैसा 
दिखता खुद में देश भक्ति 
की  बिजली भरी हुई |

सामना  किया अंग्रेज के 
विरुद्ध खुले विद्रोह की  
बुलन्दी अभूतपूर्व साहस 
के साथ |

योवाओं में, 
क्रान्तिकारी शक्ति 
भरने के लेख लिखें, 
अत्याचार सहते रहे 
जनता  के साथ देते रहे |

पल-पल कहते रहे "राख 
का हर एक कण मेरी गर्मी 
से गतिमान है मै एक ऐसा 
पागल हूं जो जेल में भी 
आजाद था" |

मौत से गले लगा कर आजादी 
का सपना देखा, फांसी की 
सजा घोषणा के बाद भी 
भगत का सामर्थ्य बढ गया।

डॉ मलकप्पा अलियास महेश बेंगलूर कर्नाटक

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