🙏🏻💥 *निरोग रहने के लिए बहुत जरूरी है उदर स्नान* 💥🙏🏻
*उपवास तोड़ने का वैज्ञानिक तरीका l*
"गुनगुना पानी ,कम से कम चार गिलास ले। ,दो निंबू शीशा के ग्लास में सेन्धा नमक के ऊपर निचोड़ लें।निंबू को ऐसा काटें ताकि दाना न कटे। अब घोल को पानी में मिला लें। अब धीरे-धीरे पानी को पीयें । पानी भर पेट पीयें कुछ देर के पश्चात आपको मोशन महसूस होगा। पेट बिल्कुल साफ हो जाना चाहिए ।बीच बीच में साधा पानी भी पीते रहना है। जब मल के रुप में साफ पानी आने लगे तब पके हुए दो केले चबा चबाकर खाएं । यह पतला दस्त को नियंत्रित करेगा तथा बचे हुए मल को आँत से बाहर करने में सहायता करेगा। अब भूख अत्यधिक सताएगी,पर,अपनी भूख पर नियंत्रित रखते हुए सुपाच्य एवं तरल आहार अपने भोजन से आधा लें। सबसे अच्छा खिचड़ी होता है। फल भी ले सकते हैं,किन्तु कड़ा फल नहीं लेना चाहिए।
*चेतावनी* --
(1)उपवास तोड़ने के लिए मीठा का उपयोग न किया जाए ।क्योंकि यह शरीर के अन्दर के विष को बाहर निकलने से रोकता है।
(2)उपवास तोड़ने के तुरंत बाद ज्यादा भोजन न ग्रहण करें,क्योंकि पाचन तंत्र को सामान्य होने में थोड़ा वक्त लगता है। अतः उपवास तोड़ने के ढाई से तीन घंटे के बाद ही भरपेट भोजन करें।
( 3.)अस्वस्थ व्यक्ति निर्जला उपवास न करें।
(4)गैस्ट्रिक के रोगी को नींबू जल या छाँछ लेते रहना चाहिए ताकि गैस का शमन होता रहे।
नियमित उपवास करने से शरीर,मन चुस्त दुरुस्त रहता है।गैस ,कब्ज दूर होता है,चर्म रोग मे बहुबहुत अच्छा फल मिलता है। अनेक बिमारियाँ दूर होती हैं,क्योंकि अधिकतर बिमारियाँ पेट की गड़बड़ी के कारण ही होती हैं। मन मजबूत होता है। शरीर अन्दर से साफ हो जाता है इसलिए साधना करने में मन लगता है।पाचन क्रिया सही होने से शक्ति बढ़ती है । चेहरे का रौनक बढ़ता है।
*नियमित उपवास करें और दीर्घजीवि बनें*
0 टिप्पणियाँ