तुम्हारे प्रेम पत्रों को किया गंगा हवाले है।#शिवांगी मिश्रा#

*शीर्षक-:तुम्हारे प्रेम पत्रों को किया गंगा हवाले है ।*
नयन में ज्वाला सी उठती ।
ह्रदय पीड़ित भी होता है ।।
समय का फेर बदला है ।
गगन भी साथ रोता है ।।
कहूं किस भांति मैं तुमसे,घाव कितने निराले हैं ।
तुम्हारे प्रेम पत्रों को किया गंगा हवाले है ।। (१)

तुम्हारा साथ जब छूटा ।
ह्रदय मुझसे ही रूठा था ।।
विरह की अग्नि में जलकर ।
खो मैं सर्वस्व बैठा था ।।
ह्रदय की घात तड़पन ही है,जो मुझको सम्भाले है ।
तुम्हारे प्रेम पत्रों को किया गंगा हवाले है ।। (२)

सुनो ! तुम इक नए पथ पर ।
गयी हो छोड़ कर हमको ।।
नया जीवन नए बंधन की ।
शुभो-शुभकामना तुमको ।।
पुनः इस प्रेम पथ से इक नया स्वारथ निकाले है ।
तुम्हारे प्रेम पत्रों को किया गंगा हवाले है ।। (३)

शिवांगी मिश्रा
लखीमपुर खीरी
उत्तर प्रदेश

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