डॉ मलकप्पा अलियास महेश बेंगलूर कर्नाटक जी द्वारा गरियाबंद पर#

कविता :- गरियाबंद 
प्रभु सृष्टि किया गरियाबंद 
को अद्भुत अनोखा इस 
धरा के अंक में |

अमूल्य धरोहरों की इस 
धरा में सम्राट अशोक 
से निर्मित विष्णु मंदिर 
भी पाये हैं |

समृद्ध संस्कृति, 
लोककला व पारंपरिक 
के तो विदेशीयों ने माला 
बनाकर गाया है |

भूतेश्वरनाथ के दर्शन 
पाने हेतु श्रद्धालुओं 
का सैलाब उमडकर आती है |

वर्षा की ऋतु में तो देवधारा 
जल नेत्र देखते ही 
पावन हो जाते हैं |

लचकेरा में तो पक्षियों के 
कलरव का नाद सुनते ही 
मुग्ध हो जाते हैं |

स्वतंत्रता आंदोलन 
की  बिगुल इसी धरा से 
छेडी थी|

इस धरती की आँचल में 
अनेक रत्न जन्म लेकर 
भारत का भूषण बढ़ाया है |

नमन ऐसी धरा को, 
जिससे भारत माँ की शान 
बढ़ी है |

डॉ मलकप्पा अलियास महेश बेंगलूर कर्नाटक

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