कविता :- गरियाबंद
प्रभु सृष्टि किया गरियाबंद
को अद्भुत अनोखा इस
धरा के अंक में |
अमूल्य धरोहरों की इस
धरा में सम्राट अशोक
से निर्मित विष्णु मंदिर
भी पाये हैं |
समृद्ध संस्कृति,
लोककला व पारंपरिक
के तो विदेशीयों ने माला
बनाकर गाया है |
भूतेश्वरनाथ के दर्शन
पाने हेतु श्रद्धालुओं
का सैलाब उमडकर आती है |
वर्षा की ऋतु में तो देवधारा
जल नेत्र देखते ही
पावन हो जाते हैं |
लचकेरा में तो पक्षियों के
कलरव का नाद सुनते ही
मुग्ध हो जाते हैं |
स्वतंत्रता आंदोलन
की बिगुल इसी धरा से
छेडी थी|
इस धरती की आँचल में
अनेक रत्न जन्म लेकर
भारत का भूषण बढ़ाया है |
नमन ऐसी धरा को,
जिससे भारत माँ की शान
बढ़ी है |
डॉ मलकप्पा अलियास महेश बेंगलूर कर्नाटक
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