कवि- आ.भास्कर सिंह माणिक कोंच जी द्वारा बहुत ही खूबसूरत रचना...

मंच को नमन

          त्याग       ----------
मनोज गांव का बहुत ही उद्दंड शरारती कामचोर लड़का था। नित्य किसी ना किसी को परेशान करना ।बूढ़े बड़ों का ख्याल ना रखना ।बच्चों को बुरा भला कहना ।गंदी गंदी गालियां उसकी जबान पर हमेशा रखी रहती थी।
अनेक बार उसने वह भी कृत किए जो नहीं करना चाहिए। अपने मां-बाप को तो कुछ समझता ही नहीं था। अपने भाई बहनों के प्रति उससे तिल भर भी प्यार नहीं था ।छीना झपटी करना ,नशा करना और छेड़छाड़ करना उसके लिए आम बात थी।

इसके बाद भी घनश्याम उस का साथ निभाता था। उसे सद् राह पर लाने के लिए हमेशा प्रयत्नशील रहा करता था। घनश्याम मनोज से अगाध प्रेम करता था। घनश्याम की एक ही चाहे रहा थी। मनोज एक अच्छा नागरिक बनें। 
एक दिन घनश्याम ने मनोज को अपने प्रेम के बल पर प्रतिष्ठित नागरिक बना ही लिया। 
आज मनोज गांव सरपंच है। स्वच्छ छवि का समाजसेवी , निष्पक्ष, सरिता सा निर्मल ,कर्मठ सद्भाव की सुगंध  बेखरता , सबके हृदय पर राज करता है।

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मैं घोषणा करता हूं कि यह कहानी मौलिक स्वरचित है।
भास्कर सिंह माणिक (कवि एवं समीक्षक)कोंच

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