शीर्षक: 'पाकर तुम-सी अच्छी माँ'
तकिया बना तेरा हाथ
उस पर सर रख सोऊँगी
जो तुमने खींचा अपना हाथ
मैं तो बहुत ही रोऊँगी
तकिया तेरे हाथ का
बना दुलार तेरा माँ
बीच-बीच में फिरा हाथ
जताती प्यार अपना माँ
रात अंधेरी होती बहुत
सोती रहूँ संग तेरे माँ
जब होता सुबह उजियारा
छोड़ के तू चल देती माँ
जाने तू भी मेरा डर
मुझे न छोड़ तू जाती है
मैं भी तेरे पास रहूँ
यही सोच रो जाती है
ऐसे ही कट जाए
तेरे साये में ज़िन्दगी
कभी बड़ी ना होऊं मैं
करूँ बस तेरी बन्दगी
मैं तो तेरी सब कुछ हूँ
तू भी मेरी सब कुछ माँ
कुछ और न माँगू ईश्वर से
पाकर तुम-सी अच्छी माँ
डॉ. लता (हिंदी शिक्षिका),
नई दिल्ली
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