वो मेरी सृजनकर्ता है,
वो मेरी दुखहर्ता है।
और कौन?
वो मेरी*माँ* है ।
वो मेरी कल्पना है
वो मेरी चाहत है,
जिसे हरपल महसूस कर सँकू,
वो मेरी प्यारी-सी आहट है।
वो मेरी शक्ती है
वो मेरी भक्ति है,
जो मुझको मिल सके,
वो ऐसी मुक्ति है ।
जो मन को शान्त कर दे,
वो ऐसी तृप्ति है।
और कौन?
वो मेरी *माँ* है।
वो मेरी आत्मा है
मेरे लिए परमात्मा है,
वो मेरी दाता है
ज्ञान अर्पण करने वाली,
वो मेरी ज्ञाता है।
और कौन?
वो मेरी *माँ*है।
वो मेरी आस है
पूर्ण विश्वास है,
वो सबसे खास है ।
वो मेरी भाग्य है,
जो सबको मिल सके,
वही सौभाग्य है।
और कौन?
वो मेरी*माँ* है।
वो पुष्प-सी कोमल है
मधू-सी मीठी है,
कली-सी प्यारी है
वो सबसे न्यारी है।
वो मेरी आज है
वो मेरी कल है,
मेरी धड़कन मे होने वाली,
वो हर हलचल है।
मेरी जीवन मे आने वाली
वो हर एक पल है।
और कौन?
वो मेरी *माँ* है।
बचपन से देखा है
हमे पुचकारते हुए,
बिना माथे पर किसी सिकंज के
हमे लाड-लडाते हुए।
खुद के दुख को छिपाते हुए,
सबके साथ देखा है,
उसे हँसते-हँसाते हुए।
और कौन?
वो मेरी *माँ* है।
हाँ, वो मेरी प्यारी माँ है।
स्वरचित कविता
प्रियंका साव
पूर्व बर्धमान, पश्चिम बंगाल
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