यादों के पुल पे बैठ,तेरी छवि नज़र आती है।
और मैं निखर सी जाती हूँ,
खुद को ही बेसुध पातीं हूँ।
कभी इतनी विचलित होती ,
कि मेरा तकिया भींग जाता है।
मेरी नींद चैन करार भूख प्यास,
कुछ भी नहीं भाता है।
लेकिन, ये सब मेरी रूह को ,
शांति का एहसास कराता हैं।
दिल का रिश्ता ऐसा ही होता है,
ये सब यही बताता हैं।
अकेली होकर भी मैं कभी अकेली नहीं हो पाती हूँ,
तुम्हारे ख्वाबों में खोकर मैं बहुत इतराती हूँ।
सच कहूँ स्नेहिल यादों में,
मेरा चैन खो जाता है।
जब तुम्हारा दिल आकर,
हमारे दिल से बतियाता है।
तो मुझे वो घड़ी बहुत भाती है,
जब कोई तेरी खबर सुनाती है।
कभी- कभी तो मैं खुद से ही बातें किया करती हूँ,
छुप - छुप कर कभी आहें भर लिया करती हूँ।
तुम्हारे चेहरे पर जन्नत नजर आता है,
यह सोच कर हमारा मन झूम जाता है।
काश! तुम हमेशा मेरे पास होते!
तेरी बाहों में हसीन सपने संजोते।
बिन पलक झपके चकोरी बन तुम्हें निहारती,
अपनी आंखों से तेरे रूप की आरती उतारती।
तुम्हारा मुझे गले से लगाना बहुत याद आती है,
एक मीठी - सी मुस्कान मेरे होठों पर छा जाती है।
अच्छा, छोड़ो इन बातों को,
थोड़ी कुछ अपनी बतलाओ!
क्या तुम्हें भी मेरी याद आती है?
मेरे मासूम दिल को समझाओ।
मेरी याद से क्या तुम्हारा चेहरा खिलता है?
तुम्हारी मन की गली में कोई हमसा मिलता है?
क्या कभी एक अजीब कसक महसूस होती है?
क्या मेरी याद में कभी तुम्हारी आँखे रोती है?
कभी - कभी तुम्हे मेरी कमी खलती होगी!
तेरे ओंठो पर मेरी गर्म सांसें चलती होगी।
याद होगी तुमको मेरी ,वो बाहों का हार।
मेरे काले घनेरे बाल,मेरे रुप का श्रृंगार।
वो कंगन वाले कोमल हाथ।
क्या तुमको याद है मेरे नाथ।
ये भी बहुत याद आती होगी न,
बहुत डंसती होगी ये तन्हाई।
जब भी तुमको मेरी याद आई।
यादों में खोकर कभी जहाँ घूम आते होगे।
मैं जानती हूँ तुम मुझसे कुछ भी नहीं कहोगे।
और तुम सोचोगे कि ये सब मुझे कैसे पता चला,
क्योंकि, मेरे साथ भी कुछ ऐसा ही होता है भला।
और सुना है कि प्यार में अक्सर ऐसा होता है।
कोई बेशुमार पाता है, तो कोई कुछ खोता है।
लेकिन क्या तुम्हें मेरी हरकतों पर नहीं आता गुस्सा करना और झगड़ना।
तुम्हारी डीपी में तुम्हारी ही तस्वीर लगाने की जिद्द करना।
बिना वज़ह तुमको खरी -खोटी सुनाना।
फिर, प्यार से हक जता कर समझाना।
कि तुम्हारी कामयाबी, सफलता मेरे सपने हैं!
नाराज़ वही होते हैं जो होते बिल्कुल अपने हैं।
क्या ये सब याद नहीं आती है,
जो मुझको रात - दिन सताती है।
जब याद आती है ,
तो फिर मिलने क्यों नहीं आते हो?
बोलो न... क्यों नहीं आते मिलने,
जो मुझको भरमाते हो-2
** एकता कुमारी **
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