राष्ट्रीय कवि रामसिंह दिनकर#भास्कर सिंह माणिक ( कवि एवं समीक्षक) कोंच जी द्वारा खूबसूरत रचना#

मंच को नमन
श्री रामधारी सिंह दिनकर जी की जयंती के पावन अवसर पर रचना प्रस्तुत-

दिनकर सा तेजवान महान था दिनकर
वीरक्त की अनुपम पहचान था दिनकर

किसान का दर्द समझता था किसान का बेटा
माटी की पीर समझता था हिंदुस्तान का बेटा
छायावादोत्तर की प्रथम सीढ़ी था दिनकर
पराधीनता सह न सका भू भारती का बेटा

अंग्रेज कांपने लगे विद्रोही तेवर देखकर
दिनकर सा तेजवान महान था दिनकर

शिक्षा को बनाया जीवन का मंत्र हंसकर
सेवा की अध्यापक सबरजिसस्ट्रार बनकर
संस्कृत  पढ़कर  सम्मान  किया संस्कृति का
राज्यसभा  सदस्य  पद  स्वीकारा बढ़कर

गौरव गान गाया राष्ट्र का हुंकार भरकर
दिनकर सा तेजवान महान था दिनकर

शब्द शब्द में थी आपके सामाजिक चेतना
अंग अंग में समाई थी पराधीनता की वेदना
कुलपति बने आप और हिंदी के सलाकार
लिखी आलौकिक आत्ममंथन युग की संवेदना

श्रृंगार का किया स्वागत आपने रसवंती लिखकर
दिनकर सा तेजवान महान था दिनकर

ज्वार, उमराव जन-जन की प्रिय बनी कृति आपकी
रश्मिरथी ,उर्वशी ,कुरुक्षेत्र ,रेणु श्रेष्ठ कृति आपकी
ज्ञानपीठ पदम भूषण आदि अलंकारों से अलंकृत
भारत में नहीं संपूर्ण विश्व में यश कीर्ति आपकी

माणिक शत्रु भी करते थे अभिवादन झुककर
दिनकर  सा  तेजवान  महान था दिनकर
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मैं घोषणा करता हूं कि यह रचना मौलिक स्वरचित है।
भास्कर सिंह माणिक  ( कवि एवं समीक्षक) कोंच

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