दिनांक: 05.09.2020
प्रकार: स्व:रचित एवं मौलिक
विधा: कविता (सायली विधा)
विषय: 'लॉकडाउन में शिक्षकों की स्थिति'
शीर्षक: 'कौन समझे व्यथा'
घंटों
बिताते रोज़
अकेले बन्द पड़े
कमरे में
शिक्षक
कराने
पढ़ाई खूब
बच्चों की लॉकडाउन
के दौर
में
लेते
ऑनलाइन कक्षा
कभी जाँचते वर्कशीट
विषयों की
निरतंर
ड्यूटी
राशन वितरण
में लगती और
बाँटते भोजन
भी
कोरोना
के पीड़ितों
के इलाज़ में
सहायक बनके
भी
नहीं
मिलता सम्मान
कहलाते ख़ाली 'मास्टर'
मुफ़्त वेतनभोगी
वे
छूट
गई नौकरी
कई बार या
करनी पड़ी
बेगार
कौन
समझे व्यथा
स्थिति और परिस्थिति
शिक्षक वर्ग
की
डॉ. लता (हिंदी शिक्षिका),
नई दिल्ली
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