स्वरचित रचना
आजादी के दीवाने
*हँसते हँसते प्राण गवाए।
वो आजादी के दीवाने।।
कोने कोने में अलख जगाए।।
वो आजादी के दीवाने।।
देश को सबकुछ दे चले।
कफ़न बाँध कर चल चले।।
सर कटाए पर सर ना झुकाए।।
वो आजादी के दीवाने।।
सुख राज गुरु भगत सिंह ने
धरा के खातिर बलिदान दिया।
कायरता को रौंद के
हमें आत्मसम्मान दिया।।
जो पुण्य भूमि को मुक्त कराये।
वो आजादी के दीवाने।।
जालियां वाला बाग का
अब भी जाकर देखो तो
दिखता है सब लाल।।
शरहद पर शौर्य दिखाए
वो आजादी के लाल।।
लाखों जान गवाने पर
आजादी हमने पाया।
अपने लहूँ देकर जिन्होंने
है देश को बचाया।।
जो तिरँगे में लिपट कर आये।
वो आजादी के दीवाने।।
*
प्रकाश कुमार मधुबनी"चंदन"
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