मानवता का मैं रक्षक हूँ,
दर्द का मैं भक्षक हूँ,
चिकित्सा मुझ बिन पूर्ण नहीं,
एक दूजे बिन हम सम्पूर्ण नहीं,
कंधा, कमर, घुटना, या टखना,
अस्थि, नस , मंसपेशी की दुर्घटना,
बच्चे, वयस्क, वृद्ध पराया या अपना,
कुशल चिकित्सा पद्धति से करते सबकी नवरचना,
आधुनिक युग की हम शान हैं,
चिकित्सा की अद्भुत पहचान हैं,
हर दर्द का निदान हैं,
जनमानस की हम जान हैं।
स्वार्थ लोलुपता की खातिर,
कुछ आपस मे उलझ रहे,
मुकम्मल पहचान को हम कबसे भटक रहे,
बहुतेरे तो एक दूसरे के पर कतर रहे,
आओ मिलकर साथ चलें,
नजरिया बदले, क्यों आंखों मे खटक रहे।
मिलकार जोर लगाएंगे,
तभी मंजिल हम पाएंगे,
आओ प्रण लें साथ रहेंगे,
सबकी हम कद्र करेंगे।
विप्र सत्यम की प्रार्थना है,
दिल से सबको मानना है।
मैं एक भौतिक चिकित्सक हूँ,
मानवता का मैं रक्षक हूँ।।
*डॉक्टर सत्यम भास्कर भ्रमरपुरिया*
वरिष्ठ भौतिक चिकित्सक,
निदेशक सह विभागाध्यक्ष,
आयुस्पाईन हास्पिटल दिल्ली.
विभागाध्यक्ष,
सांई पोलीक्लिनीक एंड डाईग्नोस्टिक सेंटर, दिल्ली।
राहुल मे मेमोरियल हास्पिटल, ग्रेटर नोएडा।
वरिष्ठ वयाख्याता, पोषण व प्राकृतिक स्वास्थ्य विज्ञान संघ, नई दिल्ली।
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