हिन्दी भारत की पहचान#चंचल हरेंद्र वशिष्ट, हिंदी#

14 सितंबर हिंदी दिवस  पर  हिन्दी भाषा को समर्पित मेरे भाव :
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शीर्षक: ' हिन्दी भारत की पहचान '
हिंदी सप्ताह से नहीं मिलेगा हिंदी को सम्मान
हिंदी को दिल से अपनाएं,दें सबको ये पैग़ाम
अपनी भाषा के बूते आगे बढ़े जर्मनी जापान
देश नहीं विदेशों में भी विख्यात है इनका नाम

आजाद हुए हम बरसों पहले हैं अब भी गुलाम
मिली आजादी शासन से पर भूल गए  ज़बान
अपनी भाषा छोड़ करते ,अंग्रेज़ी का गुणगान
क्यूं नहीं करते हिन्दुस्तानी हिंदी पर अभिमान

वेद, पुराणों,ग्रंथों से है मिला हमें यह  वरदान
संस्कृत है आदि भाषा हिन्दी है इसकी संतान
भारतीय भाषाएं भगिनी, अंग्रेज़ी मित्र समान
समृद्धशाली कोश हिंदी का,है सर्वोपरि स्थान

हर हिन्दुस्तानी को हो,हिन्दी भाषा का ज्ञान
हिंदी में ही हो अनिवार्य शिक्षा का प्रावधान
हिन्दी को राष्ट्र भाषा का सिंहासन करें प्रदान
भारतीय संस्कृति का तभी होगा नव उत्थान

बड़े बड़े विद्वानों ने दिया हिंदी को इतना मान
विदेशों में दिए जाके हिंदी भाषा में व्याख्यान
सम्पूर्ण विश्व में भारत को दी अलग  पहचान
तो आओ हिंदी बोलें गर्व से,और करें आह्वान

14 सितंबर1949,राजभाषा का मिला स्थान
हिंदी दिवस घोषित ये दिन किया हिंदी के नाम
सप्ताह एवं पखवाड़ा मनाकर ना करें अहसान
हिंदी है भारत का गौरव,हिंदी को करें प्रणाम

स्वरचित एवं मौलिक रचना:
चंचल हरेंद्र वशिष्ट, हिंदी भाषा शिक्षिका रंगकर्मी एवं कवयित्री
आर के पुरम ,नई दिल्ली

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