सादर समीक्षार्थ
सायली छंद
1 - हिमालय
की गगन
चूमती ऊँचाई देख
हृदय झूम
उठा
2 - हिमालय
तुम कितने
उतुंग और भव्य
हो वाह
अद्भुत
3 - हिमालय
तुम्हारा अनूठा
सौंदर्य और तुम्हारा
मौन रहस्यमय
है
4 - हिमालय
तुम पर्वतराज
सर्वोच्च, सर्वश्रेष्ठ, सुंदरतम
अनुपम हो
सदैव
5 - हिमालय
सर्वशक्तिमान हो
तुम और वंदनीय
भी सदा
रहोगे
6 - हिमालय
तुम्हारे प्रांगण
देवताओं के वास
ऋषि निवास
पूजनीय
7- हिमालय
तुम जितने
उतुंग उतने ही
गहरे हो
अंतर्विरोध
डॉ.राजेश कुमार जैन
श्रीनगर गढ़वाल
उत्तराखंड
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